गम से डाले हैं फेरे दिलवर की तरह
खुशियां छूटी हैं, हमसे पीहर की तरह
देखा परखा सभी ने अपनी अपनी नजर
बजते रहते हैं, हम महुअर की तरह।
-२-
चाहो तो तुम देश की तहरीर बदल दो
चाहो तो तुम देश की तस्वीर बदल दो।
नारी! शक्ति हो संसार की भूलो न कभी ये
चाहो तो तुम देश की तकदीर बदल दो॥
bahut sunder abhivyakti hai naree chahe to sachmuch desh ki tasveer badal sakti hai magar iske liye use apne kartavya ki pehchaan karni hogi apni dasha aur disha par vichaar karna hoga bahut achhi rachna hai bdhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहा ... बधाई।
ReplyDeleteमानीय महोदया
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर रचनाएं पढकर बहुत ही अच्छा लगा। इन रवनाओं में जीवन का मधुर संगीत है जो बांसुरी की धुन सा लग रहा है। संगीत के सातों सुरों से आने वाली सुमधुर धुन सदा आपके जीवन को सुखमय बनाएं रखें यही आशाकरता हूं।
अखिलेश शुक्ल
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