Friday, January 9, 2009

ईश का रूप मानवीय स्वरूप

ईश का रूप

मानवीय स्वरूप

चिन्तन-रूप ।


दुःखों का मूल

संसार से आशक्ति

आसक्ति ? त्याज्य ।

चीर हरण

सहज मोह भंग

प्रभु से पर्दा ?


अज्ञान नाश

शब्दों से न सत्य से

सत्य ? प्रकाश ।

2 comments:

  1. बहुत सुंदर.

    हर प्राणी ईश्वर का ही तो रूप है.

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  2. bahut sundar aur kam shabdon mein satya ka parichay diya hai......badhai

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