जीवन की माया हो तुम
माया की छाया हो तम
डाल आवरण अपना सब पर
करते हो भ्रमित भी तुम ॥
जीवन का लेखा हो तुम
हर लेखा का सार भी तुम
देकर अपनी दया दृष्टि को
पार कराओ भव सागर तुम॥
जीवन की गीता हो तुम
गीता की वाणी हो तुम
बनकर शब्दों की शक्ति
दे देते हो मुक्ति तुम॥
shabdon kaa chayan aur upyog behad sundar hai.
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