Wednesday, January 21, 2009

जीवन की माया हो तुम


जीवन की माया हो तुम

माया की छाया हो तम

डाल आवरण अपना सब पर

करते हो भ्रमित भी तुम ॥

जीवन का लेखा हो तुम

हर लेखा का सार भी तुम

देकर अपनी दया दृष्टि को

पार कराओ भव सागर तुम॥
जीवन की
गीता हो तुम

गीता की वाणी हो तुम

बनकर शब्दों की शक्ति

दे देते हो मुक्ति तुम॥

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