जो मीठी गज़लें कहते हैं।
हम उनके दिल में रहते हैं॥
दूर देश में तडपे कोई]
हम भी तो आहें भरते हैं।
लोग हमें लांछित करते]
हमघावों पर मरहम भरते हैं॥
सुख सुविधा से मोह न हमको]
जन्म जन्म पीडा वरते हैं॥
जगत हमारी निन्दा करता।
हम जग को रसमय करते हैं॥
विरह वेदना आहें आंसू]
कितनी दौलत हम रखते हैं।
जगत कहे दीवाना हम तो]
भाव समाधी में रहते हैं।
कैसा मिलना और बिछुडना\
हम तो बस क्रीडा करते हैं॥
Badhiyaa Ji Mujhe to Kavitayen aur gazalen behad pasand hain. lekin mujhe gazal likhana nahen aataa.
ReplyDelete