Friday, January 16, 2009

जो मीठी गज़लें कहते हैं, हम उनके दिल में रहते हैं.


जो मीठी गज़लें कहते हैं।

हम उनके दिल में रहते हैं॥

दूर देश में तडपे कोई]

हम भी तो आहें भरते हैं।

लोग हमें लांछित करते]

हमघावों पर मरहम भरते हैं॥

सुख सुविधा से मोह न हमको]

जन्म जन्म पीडा वरते हैं॥

जगत हमारी निन्दा करता।

हम जग को रसमय करते हैं॥

विरह वेदना आहें आंसू]

कितनी दौलत हम रखते हैं।

जगत कहे दीवाना हम तो]

भाव समाधी में रहते हैं।

कैसा मिलना और बिछुडना\

हम तो बस क्रीडा करते हैं॥

1 comment:

  1. Badhiyaa Ji Mujhe to Kavitayen aur gazalen behad pasand hain. lekin mujhe gazal likhana nahen aataa.

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